Uttarakhand helicopter crashes हादसों पर HC का सख्त रुख: सरकार को सुरक्षा नीति बनाने का आदेश

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उत्तराखंड की पावन धरती, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, आज हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के काले साये में डूबी हुई है। पिछले कुछ महीनों में लगातार हो रहे Uttarakhand helicopter crashes ने न केवल कई बेगुनाह जानें ले ली हैं, बल्कि चारधाम यात्रा के मौसम में श्रद्धालुओं के मन में डर पैदा कर दिया है। इस गंभीर मुद्दे पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और तुरंत एक सख्त हेलीकॉप्टर सेफ्टी पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट का सवाल: “हर साल क्यों दोहराए जा रहे हैं ये हादसे?”

माननीय मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सरकार से सीधे पूछा—“क्या ये दुर्घटनाएँ सिर्फ तकनीकी खामियों की वजह से हो रही हैं, या फिर ऑपरेटरों की लापरवाही और सरकारी निगरानी में ढिलाई इसकी असली वजह है?”

अदालत ने हाल के आंकड़े गिनाए—मात्र दो महीनों में 5 हादसे, 13 मौतें। इनमें सबसे भीषण घटना 15 जून को रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड के पास हुई, जहाँ एक हेलीकॉप्टर क्रैश होने से 7 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक मासूम बच्चा भी शामिल था। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए और आर्यन एविएशन की चारधाम हेलीसर्विसेज को तुरंत बंद कर दिया। साथ ही, दो पायलटों के लाइसेंस भी 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिए गए, जिन्होंने खराब मौसम में उड़ान भरी थी।

क्यों खतरनाक हैं उत्तराखंड की हेलीकॉप्टर उड़ानें?

पहाड़ी क्षेत्रों का मौसम बेहद अप्रत्याशित होता है, पल भर में धूप से घना कोहरा और तेज हवाओं में बदल जाता है। ऐसे में, हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए मौसम की सटीक जानकारी और सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना नितांत आवश्यक है। उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से केदारघाटी जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों का उल्लेख किया, जहाँ बारिश के बाद शुष्क परिस्थितियाँ उड़ान को और भी चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। मुख्यमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले पायलटों को अनुभवी होना चाहिए और डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के दिशानिर्देशों का 100% पालन सुनिश्चित किया जाए।

  • अनियमित मौसम: पहाड़ों पर मौसम पल-पल बदलता है—अचानक कोहरा, तेज हवाएँ और बारिश उड़ानों को जोखिम में डाल देती हैं।
  • ऑपरेटरों की लापरवाही: कई कंपनियाँ सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज करके जल्दबाजी में उड़ानें भर देती हैं।
  • पायलटों का अनुभवहीन होना: हाई-अल्टीट्यूड एरिया जैसे केदारघाटी में उड़ान भरने के लिए विशेष ट्रेनिंग जरूरी है, जिसकी कमी देखी गई है।

सरकार क्या कर रही है?

  • अस्थायी बैन: चारधाम रूट पर हेलीकॉप्टर सेवाएँ रोक दी गई हैं।
  • नई एसओपी बनाने की तैयारी: गृह सचिव की अगुवाई में एक कमेटी सितंबर तक नए सुरक्षा नियम बनाएगी, जिसमें शामिल होंगे:
    • डबल इंजन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल।
    • रीयल-टाइम वेदर मॉनिटरिंग के लिए वेदर कैमरों की स्थापना।
    • कमांड सेंटर बनाकर सभी उड़ानों पर नजर रखना।
    • पायलटों के लिए सख्त ट्रेनिंग और गाइडलाइंस

जनता की चिंता: “क्या अगले साल भी दोहराएंगे ये हादसे?”

हालांकि सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है, लेकिन लोगों का सवाल है—“क्या ये कदम सिर्फ दिखावे के लिए हैं, या फिर अगले चारधाम सीजन तक एक टिकाऊ समाधान मिलेगा?” उम्मीद है कि हाई कोर्ट के दबाव के बाद उत्तराखंड हेलीकॉप्टर सेफ्टी पॉलिसी जल्द और प्रभावी ढंग से लागू होगी, ताकि भविष्य में कोई और जान न जाए।

नोट: अगर आप चारधाम यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, तो हेलीकॉप्टर सेवाओं की जानकारी लेते समय ऑपरेटर के सेफ्टी रिकॉर्ड और मौसम अपडेट जरूर चेक करें। सुरक्षा पहले, यात्रा बाद में!

उत्तराखंड के मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, यह समय है जब हम सभी को एकजुट होकर इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना होगा। देवभूमि में आने वाले हर श्रद्धालु की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि सरकार उच्च न्यायालय के इन निर्देशों का गंभीरता से पालन करेगी और एक ऐसी मजबूत और पारदर्शी सुरक्षा नीति बनाएगी, जो भविष्य में ऐसे हादसों को रोकेगी और उत्तराखंड की पवित्र यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाएगी। यह सिर्फ तीर्थयात्रियों की बात नहीं, यह हमारे उत्तराखंड के गौरव और सम्मान की बात है।

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