
उत्तराखंड के मखमली बुग्यालों (घास के मैदानों) के बीच स्थित देवरिया ताल एक अद्भुत और खूबसूरत झील है, जो न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि महाभारत काल और पांडवों से जुड़ी पौराणिक कथाओं के कारण आध्यात्मिक महत्व भी रखती है। गढ़वाल हिमालय की गोद में बसे इस ताल की खूबसूरती और यहाँ से दिखने वाली चौखंबा, नीलकंठ, सतोपंथ, केदारनाथ, चंद्रशिला और थलयसागर जैसी हिमालय की विशालकाय चोटियाँ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

देवरिया ताल ट्रैक: एक आध्यात्मिक यात्रा
देवरिया ताल का ट्रैक रुद्रप्रयाग जिले के एक छोटे से गाँव सारी से शुरू होता है, जो उखीमठ से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप ऋषिकेश से सुबह निकलें, तो शाम तक आराम से सारी गाँव पहुँच सकते हैं। सारी गाँव से ही तुंगनाथ और चंद्रशिला के मनोरम दृश्य दिखाई देने लगते हैं।

हमने सुबह 8 बजे तैयार होकर 9 बजे देवरिया ताल का ट्रैक शुरू किया। मुख्य सड़क पर ही देवरिया ताल के ट्रैक का एक विशाल गेट बना हुआ है, जहाँ से ताल की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है। यहाँ का मौसम अक्सर बदलता रहता है, और बारिश होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। अगर आप भी देवरिया ताल की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो मौसम की जानकारी पहले ही ले लें। हमारे “Weather Update Today“ टूल की मदद से आप अगले 5 दिनों का मौसम पूर्वानुमान जान सकते हैं और अपनी यात्रा सुरक्षित तरीके से प्लान कर सकते हैं।
जंगलों से गुजरता हुआ मनमोहक ट्रैक
ट्रैक शुरू होते ही सारी गाँव के खूबसूरत नज़ारे दिखाई देने लगते हैं। यह 3 किलोमीटर लंबा ट्रैक है, जिसमें आप रुक-रुक कर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। गाँव से निकलते ही घने जंगल का रास्ता शुरू हो जाता है, जहाँ हरे, पीले और सुनहरे रंगों की छटा बिखरी होती है। रास्ते में कुछ छोटे कैफे और दुकानें भी मिल जाती हैं, जहाँ आप थोड़ा आराम कर सकते हैं।

लगभग आधा किलोमीटर चलने के बाद, ट्रैक के किनारे ओमकार रत्नेश्वर मंदिर दिखाई देता है, जो नाग देवता को समर्पित है। यहाँ से आगे बढ़ते हुए जंगल में बुरांस के फूल दिखने लगते हैं, जो पूरे रास्ते को रंगीन बना देते हैं। ट्रैक पर कई जगह खच्चर भी मिलते हैं, जो कैंपिंग का सामान ढोने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ लोग इन्हीं खच्चरों पर बैठकर देवरिया ताल तक पहुँचते हैं, क्योंकि ट्रैक छोटा होने के बावजूद चढ़ाई काफी तेज है।
बर्फ से ढके रास्ते और देवरिया ताल का मनोरम दृश्य
ताल से 200-300 मीटर पहले ही कुछ दुकानें मिल जाती हैं, जहाँ आप नाश्ता या लंच कर सकते हैं। इससे आपको अपने साथ भोजन ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। ताल के करीब पहुँचते ही रास्ते में बर्फ दिखने लगती है, जो काफी फिसलन भरी हो सकती है। इसलिए सावधानी से चलना जरूरी है।

और फिर अचानक आपके सामने प्रकट होता है देवरिया ताल—एक ऐसी झील जिसकी सुंदरता देखकर आप अवाक् रह जाएँगे। एक तरफ चाँदी जैसी चमकती बर्फ, दूसरी तरफ हिमालय की विशालकाय चोटियाँ, और बीच में शांत जल से भरा यह ताल—यह दृश्य इतना मनोरम है कि इसे “देवताओं की झील” कहना गलत नहीं होगा।
देवरिया ताल का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
इस ताल का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि यहाँ यक्ष ने पांडवों से प्रश्न पूछे थे। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि इस झील का निर्माण भीम ने किया था। इसे इंद्र सरोवर भी कहा जाता है, और प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
हिमालय की विशालकाय चोटियों का अद्भुत नज़ारा

देवरिया ताल से चौखंबा, नीलकंठ, मंदिरी, सतोपंथ, केदारनाथ और थलयसागर जैसी चोटियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

- चौखंबा (23,000 फीट): चार शिखरों वाला यह पर्वत समूह अत्यंत भव्य है।
- नीलकंठ (22,000 फीट): केदारनाथ से दिखने वाली यह चोटी देवरिया ताल से भी नजर आती है।
- मंदिरी (20,000 फीट): इसके ग्लेशियर से निकलने वाली मंदाकिनी नदी आगे काली गंगा में मिल जाती है।
- सतोपंथ (23,000 फीट): “सत्य का मार्ग” कहलाने वाली यह चोटी अलकनंदा घाटी में स्थित है।
- केदारनाथ डोम (22,000 फीट): केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित यह बर्फीला शिखर अत्यंत मनोरम है।
ताल के आसपास के व्यू पॉइंट्स और कैंपिंग
ताल से 100 मीटर ऊपर एक व्यू पॉइंट है, जहाँ से चौखंबा और चंद्रशिला का शानदार नज़ारा दिखता है। यहाँ कैंपिंग की अनुमति नहीं है, लेकिन ताल से कुछ दूरी पर कैंप साइट्स उपलब्ध हैं।
ट्रैक के लिए जरूरी जानकारी
- प्रवेश शुल्क: फॉरेस्ट चेकपोस्ट पर टिकट लेना होता है, जो 3 दिनों तक वैध रहता है। इसी टिकट से आप तुंगनाथ ट्रैक भी कर सकते हैं।
- सावधानियाँ: बर्फ में फिसलन हो सकती है, इसलिए ग्रिप वाले जूते पहनें।
- सर्वोत्तम समय: अप्रैल-जून और सितंबर-नवंबर (बर्फ का आनंद लेना हो तो सर्दियों में जाएँ)।

निष्कर्ष
देवरिया ताल न केवल एक ट्रैकिंग डेस्टिनेशन है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, हिमालय के दर्शन और पौराणिक इतिहास का मिश्रण इसे उत्तराखंड के सबसे खास स्थानों में से एक बनाता है। अगर आप शांति, साहसिकता और आध्यात्मिकता का अनुभव चाहते हैं, तो देवरिया ताल की यात्रा जरूर करें!
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FAQs
1. देवरिया ताल कहाँ स्थित है?
उत्तर:
देवरिया ताल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो उखीमठ से लगभग 15 किमी दूर सारी गाँव से शुरू होने वाले ट्रैक पर पड़ता है। यह समुद्र तल से 2,438 मीटर (लगभग 8,000 फीट) की ऊँचाई पर स्थित एक मनोरम झील है, जो चारों ओर से घने जंगलों और हिमालय की चोटियों से घिरी हुई है।
2. देवरिया ताल का ट्रैक कितना कठिन है?
उत्तर:
- ट्रैक लंबाई: सारी गाँव से देवरिया ताल तक 3 किमी (एक तरफ) का ट्रैक है, जिसे मध्यम दर्जे का माना जाता है।
- चढ़ाई: ट्रैक में तेज चढ़ाई आती है, खासकर आखिरी 1 किमी में।
- समय: औसतन 2-3 घंटे (चढ़ाई) और 1.5-2 घंटे (वापसी) लगते हैं।
- कठिनाई: शुरुआती लोगों के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे चलने पर प्रबंधनीय है।
3. देवरिया ताल जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
उत्तर:
मौसम | समय | विशेषताएँ |
---|---|---|
गर्मियाँ (अप्रैल-जून) | दिन का तापमान: 15-25°C | साफ आसमान, हिमालय के शानदार दृश्य |
मानसून (जुलाई-सितंबर) | हल्की बारिश | हरियाली, लेकिन फिसलन भरे रास्ते |
सर्दियाँ (अक्टूबर-मार्च) | तापमान: -5°C से 10°C | बर्फ से ढका ताल, अद्भुत नज़ारे |
सर्वोत्तम समय: अप्रैल-जून (ट्रैकिंग के लिए आदर्श) और दिसंबर-जनवरी (बर्फ का आनंद लेने के लिए)।
4. क्या देवरिया ताल ट्रैक पर गाइड की जरूरत होती है?
उत्तर:
- गाइड जरूरी नहीं, क्योंकि ट्रैक अच्छी तरह चिह्नित है और रास्ते में लोग मिल जाते हैं।
- पहली बार ट्रैक करने वाले या अकेले यात्री स्थानीय गाइड ले सकते हैं (लगभग ₹800-1000 प्रति दिन)।
- खच्चर सेवा भी उपलब्ध है (लगभग ₹500-700 एक तरफ)।

5. देवरिया ताल का पौराणिक महत्व क्या है?
उत्तर:
- महाभारत काल से जुड़ाव: मान्यता है कि यहाँ यक्ष ने पांडवों से प्रश्न पूछे थे।
- भीम द्वारा निर्मित: स्थानीय लोग मानते हैं कि इस झील का निर्माण भीम ने किया था।
- इंद्र सरोवर: प्राचीन ग्रंथों में इसे देवताओं की झील कहा गया है।
6. क्या देवरिया ताल के आसपास रुकने की व्यवस्था है?
उत्तर:
- सारी गाँव में होमस्टे/गेस्टहाउस: ₹500-1500 प्रति रात (उदाहरण: देवरिया ट्रैक होमस्टे)।
- कैंपिंग: ताल से 1 किमी दूर कैंप साइट्स (लगभग ₹1000-2000 प्रति टेंट)।
- नजदीकी शहर: उखीमठ में होटल (20 किमी दूर)।
नोट: झील के किनारे कैंपिंग प्रतिबंधित है।
7. देवरिया ताल से कौन-सी हिमालयन चोटियाँ दिखती हैं?
उत्तर:
चोटी | ऊँचाई (फीट) | विशेषता |
---|---|---|
चौखंबा | 23,000 | चार शिखरों वाला पर्वत |
नीलकंठ | 22,000 | केदारनाथ के पीछे स्थित |
केदारनाथ डोम | 22,000 | बर्फ से ढका गुंबद |
सतोपंथ | 23,000 | “सत्य का मार्ग” नाम से प्रसिद्ध |
थलयसागर | 22,000 | गढ़वाल हिमालय की प्रमुख चोटी |
8. ट्रैक पर क्या सामान ले जाना चाहिए?
उत्तर:
- जरूरी सामान:
- ग्रिप वाले ट्रैकिंग शू: Amazon पर बेस्ट डील देखें – बेहतर पकड़ और फिसलन से सुरक्षा के लिए।
- पानी की बोतल और स्नैक्स: इंसुलेटेड बोतल और एनर्जी बार – ऊर्जा बनाए रखने के लिए।
- फर्स्ट-एड किट: ट्रैकिंग स्पेशल फर्स्ट-एड किट – चोट या थकान में काम आएगा।
- वैकल्पिक:
- ट्रैकिंग पोल: Amazon पर हल्के और फोल्डेबल पोल – संतुलन और घुटनों की सुरक्षा के लिए।
- बारिश का कोट (मानसून में): वाटरप्रूफ रेन जैकेट – अचानक बारिश से बचाव।
- कैमरा (व्यू पॉइंट्स के लिए): कॉम्पैक्ट ट्रैवल कैमरा – सुंदर नज़ारों को कैद करने के लिए।
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मैं एक passionate Blogger और Content Writer हैं, जो पिछले 2 वर्षों से Uttarakhand की आध्यात्मिक धरोहर, धार्मिक स्थलों और देवकथाओं पर आधारित कंटेंट लिखते आ रहा हैं।
मेरा उद्देश्य है कि उत्तराखंड की पवित्र भूमि — जिसे Devbhumi कहा जाता है — उसकी दिव्यता, मंदिरों की महिमा और लोक आस्था से जुड़ी कहानियाँ पूरे देश और दुनिया तक पहुँचाई जाएँ।
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