नमस्ते घुमक्कड़ों और प्रकृति प्रेमियों!
देवभूमि उत्तराखंड की हर घाटी, हर चोटी अपनी एक अलग कहानी सुनाती है। और आजकल, रुद्रप्रयाग के पास, स्वर्ग से भी सुंदर Deoria Tal के आँचल में चल रहा Kafal Festival 2025 एक ऐसी ही मनमोहक कहानी बुन रहा है – प्रकृति, समुदाय और परंपरा का एक जीवंत उत्सव! एक ट्रैवल ब्लॉगर के तौर पर, मेरा दावा है कि यह अनुभव आपकी Uttarakhand Tourism 2025 यात्रा को हमेशा के लिए यादगार बना देगा।
Kafal Festival क्या है: परंपरा और Deoria Tal से इसका गहरा नाता
क्या आपने कभी पहाड़ों के इस नगीने “काफल” का स्वाद चखा है? यह गर्मियों में पकने वाला एक छोटा, जंगली, खट्टा-मीठा फल है, जो उत्तराखंड के जंगलों की शान है। Kafal Festival इसी स्वादिष्ट फल के मौसम का जश्न है – एक ऐसा पर्व जो सदियों से यहाँ की लोक-संस्कृति, प्रकृति से गहरे जुड़ाव और स्थानीय परंपराओं का प्रतीक रहा है। यह सिर्फ एक फल का उत्सव नहीं, बल्कि स्थानीय जीवनशैली, कला और पर्यावरण के प्रति सम्मान का पर्व है।
इस साल, Kafal Festival 2025 का आयोजन सारी-देवरियाताल, रुद्रप्रयाग में 16 जून से 20 जून 2025 तक किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य “Promoting Sustainable ECO Tourism” यानी सतत इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना है।
और इस उत्सव के लिए Deoria Tal से बेहतर जगह भला और क्या हो सकती है? यह वो जगह है जहाँ चौखम्बा की बर्फ से ढकी चोटियाँ आईने की तरह झील के शांत पानी में उतर आती हैं। पौराणिक कथाओं में इसे ‘इंद्र सरोवर’ कहा गया है, जहाँ देवताओं ने स्नान किया था, और पांडवों के वनवास के दौरान यक्ष ने यहीं उनसे संवाद किया था। सोचिए, ऐसे पवित्र और प्राकृतिक रूप से समृद्ध स्थान पर, काफल के मौसम में, स्थानीय संस्कृति का यह जश्न कितना अद्भुत होता होगा!

2025 का आयोजन: सामुदायिक जुड़ाव और पार्टनरशिप की मिसाल
इस साल (2025) के Kafal Festival में सामुदायिक जुड़ाव और विभिन्न भागीदारों की सहभागिता देखते ही बनती है। यह किसी एक संस्था का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय और कई सहयोगी संगठनों के प्रयासों का परिणाम है।
इस आयोजन में ‘Raadha – Pandavaas & Ishaan Dobhal’ जैसे ग्रुप ‘Co-Sponsor’ और ‘Associate Sponsor’ के तौर पर जुड़े हैं, जो उत्सव को एक नई पहचान दे रहे हैं। ‘Club Retreat’ ‘Support Partner’ है और ‘Camera Party’ ‘Camera Partner’ है। इसके साथ ही, तामीर फाउंडेशन (श्रीनगर, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग) और युवा मंगल दल सारी जैसे स्थानीय स्वयंसेवक समूह भी विभिन्न गतिविधियों, खासकर सफाई अभियान में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। यह दिखाता है कि जब स्थानीय लोग, कलाकार और जागरूक संस्थाएं हाथ मिलाती हैं, तो पहाड़ों की सुंदरता को कैसे बनाए रखा जा सकता है।
गतिविधियाँ: स्वच्छता, संस्कृति और संरक्षण का मिश्रण
इस फेस्टिवल में सिर्फ काफल खाने को नहीं मिल रहा, बल्कि कई सार्थक गतिविधियां भी चल रही हैं, जो इसे “लोक, संस्कृति और प्रकृति – सब एक साथ” का एक बेहतरीन उदाहरण बनाती हैं:
- वृहद सफाई अभियान: Deoria Tal की ओर जाने वाले सारी-देवरिया ताल पैदल ट्रैक पर एक बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया गया है। स्वयंसेवकों ने उत्साह के साथ प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया और जगह-जगह रिंगाल के डस्टबिन (स्थानीय बांस से बने सुंदर कूड़ेदान) स्थापित किए हैं। यह पहल दिखाती है कि पर्यटन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण कितना ज़रूरी है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोक कला: Festival में Live Music और Kavi Sammelan जैसी गतिविधियां शामिल हैं, जो उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं। इसके अलावा, Yoga सत्र भी आयोजित किए गए, जिससे प्रतिभागी प्रकृति के बीच शारीरिक और मानसिक शांति का अनुभव कर सकें।
- ज्ञान और जागरूकता: Panel Discussion का आयोजन भी किया गया, जहाँ विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई होगी, संभवतः पर्यावरण, वन्यजीव या स्थानीय विकास से जुड़े मुद्दों पर।
- स्थानीय भोजन और कला: फेस्टिवल में Local Food (स्थानीय भोजन) के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जो उत्तराखंड के जायके का अनुभव कराते हैं। साथ ही, Photography Workshop का भी आयोजन किया गया, जो कला प्रेमियों और फोटोग्राफरों को प्रकृति की खूबसूरती कैद करने का मौका देता है।

माहौल और लोगों के अनुभव
Deoria Tal में आजकल का माहौल ऊर्जा और उत्साह से भरा है। यहाँ आपको स्थानीय लोग और बाहर से आए पर्यटक, दोनों एक ही रंग में रंगे नज़र आएंगे। सफाई अभियान में भाग लेते एक स्थानीय बुजुर्ग, राम सिंह जी मुस्कुराते हुए कहते हैं, “ये ताल हमारी पहचान है, इसे साफ रखना हमारा फर्ज है। जब पर्यटक इसे देखकर खुश होते हैं, तो हमें और खुशी मिलती है।”
दिल्ली से आए एक युवा ट्रैवलर, प्रिया, ने बताया, “मैंने सिर्फ Deoria Tal की खूबसूरती सुनी थी, लेकिन यहाँ आकर जिस तरह से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक देखा, वह शानदार है। और हाँ, काफल तो लाजवाब हैं!” एक और पर्यटक, जो अपने परिवार के साथ आए हैं, बताते हैं, “यहाँ के लोक संगीत में जो शांति और सुकून है, वो शहरों में कहाँ! बच्चों को भी हमारी संस्कृति जानने का मौका मिल रहा है।”
यह फेस्टिवल सिर्फ एक इवेंट नहीं है, यह एक ऐसा अनुभव है जहाँ आप प्रकृति के साथ जुड़ते हैं, स्थानीय संस्कृति को जीते हैं, और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को महसूस करते हैं।
सारांश
Kafal Festival 2025, Deoria Tal में एक शानदार उत्सव है जो Uttarakhand Tourism 2025 को एक नया आयाम दे रहा है। 16 से 20 जून 2025 तक चलने वाला यह फेस्टिवल “सतत इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने” के अपने लक्ष्य को बखूबी हासिल कर रहा है। यह प्रकृति के प्रति सम्मान, स्थानीय संस्कृति का जश्न और सामुदायिक भागीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। स्वच्छता अभियान से लेकर लोक संगीत, फोटोग्राफी कार्यशालाओं और पर्यावरणीय चर्चाओं तक, यह फेस्टिवल हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास पेश कर रहा है। अगर आप पहाड़ों की असली आत्मा का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस साल Deoria Tal ज़रूर आएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- Kafal Festival क्या है? Kafal Festival उत्तराखंड के स्थानीय फल काफल के मौसम का जश्न है, जो पहाड़ों की लोक-परंपराओं, संस्कृति और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाता है। यह एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जागरूकता का पर्व है, जिसका उद्देश्य सतत इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना है।
- Deoria Tal में Kafal Festival 2025 कब से कब तक चला? Kafal Festival 2025 का आयोजन सारी-देवरियाताल, रुद्रप्रयाग में 16 जून से 20 जून 2025 तक किया गया।
- Deoria Tal में Kafal Festival के प्रमुख सहयोगी कौन हैं? इस फेस्टिवल में ‘Raadha – Pandavaas & Ishaan Dobhal’ जैसे ग्रुप ‘Co-Sponsor’ और ‘Associate Sponsor’ के तौर पर, ‘Club Retreat’ ‘Support Partner’ के तौर पर जुड़े हैं। इसके साथ ही, तामीर फाउंडेशन और युवा मंगल दल सारी जैसे स्थानीय स्वयंसेवक समूह भी इसमें सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
- Kafal Festival के दौरान कौन-कौन सी मुख्य गतिविधियां आयोजित की गईं? मुख्य गतिविधियों में वृहद सफाई अभियान, रिंगाल के डस्टबिन स्थापित करना, Live Music, Yoga सत्र, Kavi Sammelan, Panel Discussion, Local Food के स्टॉल और Photography Workshop शामिल थे।
- Deoria Tal का सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व क्या है? Deoria Tal को पौराणिक रूप से ‘इंद्र सरोवर’ माना जाता है और यह हिमालय की भव्य चौखम्बा चोटियों से घिरा हुआ है। यह प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक मान्यताओं का एक अद्भुत संगम है, जो इसे ऐसे उत्सवों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
मैं एक passionate Blogger और Content Writer हैं, जो पिछले 2 वर्षों से Uttarakhand की आध्यात्मिक धरोहर, धार्मिक स्थलों और देवकथाओं पर आधारित कंटेंट लिखते आ रहा हैं।
मेरा उद्देश्य है कि उत्तराखंड की पवित्र भूमि — जिसे Devbhumi कहा जाता है — उसकी दिव्यता, मंदिरों की महिमा और लोक आस्था से जुड़ी कहानियाँ पूरे देश और दुनिया तक पहुँचाई जाएँ।
“Faith is not just belief, it’s a way of life.”
इसी सोच के साथ हम अपने लेखों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ने का प्रयास करते हैं।